एक समय की बात है , एक सज्जन की बबी का देहान्त हो गया।वक्त सुवह का था , गाँव वाले सब जमा हुए, चर्चा होने लगी आगे क्या होगा । सब को काम बाँट दिया गया,कोई बाजार चला गया अर्थी का सामान लेने,कोई बांस काट कर टटरी बनाने लगा । सब कोई इधर से उधर भाग दौड़ में लगा था। सब रिस्तेदार भर-भर गाड़ी आ रहे थे। रिस्तेदारो में भी जो कम उम्र के बच्चे(tinagger) आये थे वे तो एक दम से Facebook WhatsApp लग गए मनो कोई समारोह में आये हो। कोई रो रहा था,कोई किसी को ढाढस बंधा रहा था। माहोल एकदम गमशीन हो गया।
एक रिस्तेदार ने बड़ी ही सालीनता के साथ उस सज्जन पूछा ,क्या भाई आपके रिस्तेदार सब आ गए, कोई बेटा-बेटी तो आना वाकी नहीं रहा । उस सज्जन ने एक सरसरी निगाह चारो तरफ डाली और बोला सब कोई आ गया है अब कोई आने वाला नहीं है। तब उस व्यक्ती ने बड़ी ही जिम्बेदारी के साथ अर्थी निकालने की तैयारी शुरू कर दी। बाजार गए लडके भी आ गए थे,सब सामान आ चूका था। अब अंतिम यात्रा निकल चूकी थी।
क्यों की बहुत सारी तैयारी करना पड़ा इस लिए,घाट निकलते-निकलते शाम हो चुकी थी। सब लोग जल्दी-जल्दी घाट की ओर जा रहे थे।सब कोई राम नाम सत्य है,राम नाम सत्य कहे जा रहे थे।और जल्दी-जल्दी पांव बढ़ाये जा रहे थे। क्यों की कोई तो ठण्ड के डर से हड़बड़ाकर चल रहा था, तो कोई शाम के समय समशान जाने में डर लग रहा था। सब लोग यही सोच रहा था,कि जितना जल्दी जायेगे उतना जल्दी जलाकर घर आपस आ जाएंगे। क्यों कि ठंडी का समय था। सब लोग राम नाम सत्य है का नारा लगते हुए, बड़ी जोश के साथ घाट की और बड़ रहे थे। शाम होने को थी, देहात का रास्ता था, रास्ते के बगल में एक खंभा था , अब थोडा अँधेरा घिर आया था। सब लोग जोश के साथ आगे बड़ रहे थे , अचानक एक जोर की आवाज आई ,जब सबने इस के बारे में जाना तो पता चला अर्थी एक खम्भे से टकरा गई थी। टक्कर इतनी जोरदार थी की मुर्दा उठ कर बैठ गई । सब ने जाकर देखा की मुर्दे का क्या हाल है यह तो आश्चर्य हो गया वह ओरत जी उठी। सब कोई हंसी - खुसी घर आगये खुछ ने कोसा भी " बेकार के इतना मेहनत करवाया " । पति का चेहरा देखने लयख था।
सब कोई अपना -अपना घर चला गया।
कुछ सालो बाद फिर से वह औरत मरी , फिर से उसी तरह से सब तैयारी शुरू हुई तैयारी होत- होते शाम हो गया । अंतिम यात्रा शुरू हुआ सब कोई बड़े जोश के साथ घाट की ओर बड़ रहे थे। सब कोई राम नाम सत्य है राम नाम सत्य की नारा लगा रहे थे।पर वह सज्जन जिसका बीबी मरी थी,वह अब आगे-आगे बड़ी जोश के के साथ चला जा रहा था।और सब लोग जितनी बार राम नाम सत्य है का नारा लगता वह जोर से बोलता।
खंभा देख के चलो ।
एक रिस्तेदार ने बड़ी ही सालीनता के साथ उस सज्जन पूछा ,क्या भाई आपके रिस्तेदार सब आ गए, कोई बेटा-बेटी तो आना वाकी नहीं रहा । उस सज्जन ने एक सरसरी निगाह चारो तरफ डाली और बोला सब कोई आ गया है अब कोई आने वाला नहीं है। तब उस व्यक्ती ने बड़ी ही जिम्बेदारी के साथ अर्थी निकालने की तैयारी शुरू कर दी। बाजार गए लडके भी आ गए थे,सब सामान आ चूका था। अब अंतिम यात्रा निकल चूकी थी।
क्यों की बहुत सारी तैयारी करना पड़ा इस लिए,घाट निकलते-निकलते शाम हो चुकी थी। सब लोग जल्दी-जल्दी घाट की ओर जा रहे थे।सब कोई राम नाम सत्य है,राम नाम सत्य कहे जा रहे थे।और जल्दी-जल्दी पांव बढ़ाये जा रहे थे। क्यों की कोई तो ठण्ड के डर से हड़बड़ाकर चल रहा था, तो कोई शाम के समय समशान जाने में डर लग रहा था। सब लोग यही सोच रहा था,कि जितना जल्दी जायेगे उतना जल्दी जलाकर घर आपस आ जाएंगे। क्यों कि ठंडी का समय था। सब लोग राम नाम सत्य है का नारा लगते हुए, बड़ी जोश के साथ घाट की और बड़ रहे थे। शाम होने को थी, देहात का रास्ता था, रास्ते के बगल में एक खंभा था , अब थोडा अँधेरा घिर आया था। सब लोग जोश के साथ आगे बड़ रहे थे , अचानक एक जोर की आवाज आई ,जब सबने इस के बारे में जाना तो पता चला अर्थी एक खम्भे से टकरा गई थी। टक्कर इतनी जोरदार थी की मुर्दा उठ कर बैठ गई । सब ने जाकर देखा की मुर्दे का क्या हाल है यह तो आश्चर्य हो गया वह ओरत जी उठी। सब कोई हंसी - खुसी घर आगये खुछ ने कोसा भी " बेकार के इतना मेहनत करवाया " । पति का चेहरा देखने लयख था।
सब कोई अपना -अपना घर चला गया।
कुछ सालो बाद फिर से वह औरत मरी , फिर से उसी तरह से सब तैयारी शुरू हुई तैयारी होत- होते शाम हो गया । अंतिम यात्रा शुरू हुआ सब कोई बड़े जोश के साथ घाट की ओर बड़ रहे थे। सब कोई राम नाम सत्य है राम नाम सत्य की नारा लगा रहे थे।पर वह सज्जन जिसका बीबी मरी थी,वह अब आगे-आगे बड़ी जोश के के साथ चला जा रहा था।और सब लोग जितनी बार राम नाम सत्य है का नारा लगता वह जोर से बोलता।
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