एक समय की बात है। एक साधु एक गाँव से गुजर रहे थे। उसने देखा उस गाँव ले लोगो का रो- रो बुरा हाल है, साधू जी को लगा की क्या हुआ है,थोडा देखा जाय। साधु जी उन लोगो के
के पास गए,तो देखा किसी का बेटा मर गया था। इस लिए सब लोग इक्कट्ठा हुआ था। उस लड़के का माँ बाप दहाड़ मर कर रो रहा था,और गाँव वाले उन्हें ढाढ़स बंधा रहे थे। लोगो से पूछ-ताछ से पता चला की इस इलाके में एक साँप है जो आये दिन किसी ना किसी को काट लेता है इस बच्चे को उसी साँप के काट लिया है,जिस कारन इसकी मृत्यु हो गई ।साधु ने यह सुना तो उसे बहुत बुरा लगा। वे इन सब गाँव वालो को उस सांप के आतंक से मुक्ति दिलाने की ठान ली ।
वे साधु बाबा एक जगह ध्यान में बैठ गए, और अपने तपोवल से उस साँप को अपने पास आने को मजबूर कर दिया। साँप फन उठाये आंधी की तरह फुफकारता हुआ साधु बाबा के पास आ गया। वँहा पहुचते ही साधू बाबा के तेज देख कर वह जहरीला सांप सांत हो गया। तब वह साँप विनय पूर्वक साधु से पूछा हे महराज आपने मुझे यँहा जबरजस्ती क्यों बुलाया है। साधु बाबा बड़े सांत भाव से बोले तुमने इन गाँव के लोगो को बहुत सताया है,आये दिन तुम्हारे कटाने से किसी न किसी की मोत हो जाती है,यह ठीक बात नहीं है।भगवान् ने तुम्हे बिष प्रदान किया है,इसका मतलब तुम किसी को डस लोगे! साँप को साधु के बात का ऐसा प्रभाव पड़ाव पड़ा की उसने ठान लिया की अब वह किसी को नहीं कटेगा। उसने सधु बाबा को कहा आप आप निश्चिन्त हो जाइये अब की को नहीं काटूँगा। यह सुन साधुजी अपने रस्ते दूसरे गाँव की तरफ चल गए।
कुछ समय बीत गया घूमते -फरते साधु जी फिर वही गाँव पहुँच गए । उसने सोंचा गांव वालो का हाल -चाल ले ले थोडा । वह जैसे गांव में गया उसे एक बच्चों का झुण्ड दिखा जो किसी के पीछे भाग रहा था और मस्ती से हल्ला कर रहा था।साधु बाबा सामने जा कर देखा तो उसे बड़ा आश्चय हुआ! वह तो वही साँप है जिसको उसने समझाया था। बच्चे उसके पीछे भाग रहे है, पूछ पकड़ कर घुमा रहे है,कोई पत्थल मार रहे और सब कोई यही चिल्ला रहा है,यह साँप नहीं काटता नहीं काटता है,बेचारा साँप अधमरा हो चूका था। साधू बाबा ने उसके सामने जाकर पूछा तुम्हारा यह हाल कैसे हुआ । साँप ने बताया महात्मन् जब से आपके कहने पर मेंने किसी को काटना छोड़ दिया है , उस समय से इन बच्चों ने मेरा यह हल कर दिया। साधू बाबा एकदम बोल उठे अरे मुर्ख मेने तुम्हे सिर्फ काटने से मना कीया था,तुम फन उठा कर लोगो को डरा नहीं सकते थे। ये कलयुग है,इस युग में जीना है तो सामने वाले को यह महसूस दिलाओ की में काट सकता हु फन उठाओ फुफकार लगाओ तुम्हे काटने से मना किया था,य सब करने को नहीं मना किया था । सबके पास शक्ती होता इस शक्ति का उपयोग किसी को नुकसान पहुचने के लिए मत करो।परन्तु सामने वाले को ये देखना भी जरूरी है की में कमजोर नहीं हु में चाहूँ तो तुम्हे नुकसान पहुँचा सकता हूँ। तब तुम इस युग में जिन्दा रह पाओगे।कमजोर दिखने वाले लोगो को यह जमाना जीने नहीं देती है।
के पास गए,तो देखा किसी का बेटा मर गया था। इस लिए सब लोग इक्कट्ठा हुआ था। उस लड़के का माँ बाप दहाड़ मर कर रो रहा था,और गाँव वाले उन्हें ढाढ़स बंधा रहे थे। लोगो से पूछ-ताछ से पता चला की इस इलाके में एक साँप है जो आये दिन किसी ना किसी को काट लेता है इस बच्चे को उसी साँप के काट लिया है,जिस कारन इसकी मृत्यु हो गई ।साधु ने यह सुना तो उसे बहुत बुरा लगा। वे इन सब गाँव वालो को उस सांप के आतंक से मुक्ति दिलाने की ठान ली ।
वे साधु बाबा एक जगह ध्यान में बैठ गए, और अपने तपोवल से उस साँप को अपने पास आने को मजबूर कर दिया। साँप फन उठाये आंधी की तरह फुफकारता हुआ साधु बाबा के पास आ गया। वँहा पहुचते ही साधू बाबा के तेज देख कर वह जहरीला सांप सांत हो गया। तब वह साँप विनय पूर्वक साधु से पूछा हे महराज आपने मुझे यँहा जबरजस्ती क्यों बुलाया है। साधु बाबा बड़े सांत भाव से बोले तुमने इन गाँव के लोगो को बहुत सताया है,आये दिन तुम्हारे कटाने से किसी न किसी की मोत हो जाती है,यह ठीक बात नहीं है।भगवान् ने तुम्हे बिष प्रदान किया है,इसका मतलब तुम किसी को डस लोगे! साँप को साधु के बात का ऐसा प्रभाव पड़ाव पड़ा की उसने ठान लिया की अब वह किसी को नहीं कटेगा। उसने सधु बाबा को कहा आप आप निश्चिन्त हो जाइये अब की को नहीं काटूँगा। यह सुन साधुजी अपने रस्ते दूसरे गाँव की तरफ चल गए।
कुछ समय बीत गया घूमते -फरते साधु जी फिर वही गाँव पहुँच गए । उसने सोंचा गांव वालो का हाल -चाल ले ले थोडा । वह जैसे गांव में गया उसे एक बच्चों का झुण्ड दिखा जो किसी के पीछे भाग रहा था और मस्ती से हल्ला कर रहा था।साधु बाबा सामने जा कर देखा तो उसे बड़ा आश्चय हुआ! वह तो वही साँप है जिसको उसने समझाया था। बच्चे उसके पीछे भाग रहे है, पूछ पकड़ कर घुमा रहे है,कोई पत्थल मार रहे और सब कोई यही चिल्ला रहा है,यह साँप नहीं काटता नहीं काटता है,बेचारा साँप अधमरा हो चूका था। साधू बाबा ने उसके सामने जाकर पूछा तुम्हारा यह हाल कैसे हुआ । साँप ने बताया महात्मन् जब से आपके कहने पर मेंने किसी को काटना छोड़ दिया है , उस समय से इन बच्चों ने मेरा यह हल कर दिया। साधू बाबा एकदम बोल उठे अरे मुर्ख मेने तुम्हे सिर्फ काटने से मना कीया था,तुम फन उठा कर लोगो को डरा नहीं सकते थे। ये कलयुग है,इस युग में जीना है तो सामने वाले को यह महसूस दिलाओ की में काट सकता हु फन उठाओ फुफकार लगाओ तुम्हे काटने से मना किया था,य सब करने को नहीं मना किया था । सबके पास शक्ती होता इस शक्ति का उपयोग किसी को नुकसान पहुचने के लिए मत करो।परन्तु सामने वाले को ये देखना भी जरूरी है की में कमजोर नहीं हु में चाहूँ तो तुम्हे नुकसान पहुँचा सकता हूँ। तब तुम इस युग में जिन्दा रह पाओगे।कमजोर दिखने वाले लोगो को यह जमाना जीने नहीं देती है।
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