मंगलवार, 8 सितंबर 2020

हर एक मुस्कान कुछ कहता है

एक दिन में ऑफिस से घर जाने के समय सब्जी बजार में सब्जी लेने रुका । सब्जी वाले के यहां में कुछ सब्जियां ली और अपने मोटर साइकिल के पास आ गया । सब्जी के झोले को मोटर साइकिल मे टांग कर गाड़ी को स्टाट करने ही वाला था कि एक 7 - 8 का बच्चा मेरे सामने अपना पुराना सा कटोरा फैला कर पैसे मांगने लगा । इतने छोटे बच्चे को भीख मांगते देख मुझे बहुत खराब लगता है , और उसके माँ बाप पर गुस्सा भी आता है , इतने छोटे बच्चे से भीख क्यों मंगाता है। क्या मां बाप अपने बुरी लत की पुरा करने के लिए अपने बच्चो से ये काम करता है या ये अपनी मजबूरी के कारण ये काम करता है। ये सब जानने का किसी को समय नही है अभी । वो तो हर आने जाने वालो के सामने अपना कटोरा फैला देता है। कोई कुछ पैसे दे देता कोई नही देता ।

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उस दिन पहले तो मैंने कहा कि छुट्टा नही है , क्योंकि में जल्दी किसी सवस्थ आदमी की भिख नही देता क्योंकि मेरा मानना है कि भिख देने से ही भिखारी बढ़ते है और जिसका शरीर ठीक-ठाक है वे भी काम करने के बजाए भिख मांगते है । पर बच्चे की मासूमियत देख मेने पुछ लिया पैसे का क्या करेंगे। उस बच्चे ने मुस्कराते हुए जबाब दिया अंडा चोप ( उबले हुए अंडे को बेसन मे लपेट कर छान हुआ ) खाना है। में अपना पर्स निकाल कर देखा छुट्टे के नाम पर पांच का एक सिक्का था, मेने उसे कहा मे यंही हूँ जाओ अंडा चोप ले लो वह सामने लगे नास्ते के ठेले के पास जाकर पैसे देकर अंडा चोप मांगा होगा क्योकि थोडा दुर हेने के कारण मे उसकी आवज सुन नही पाया ।

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 लगता है पैसे कम पड़ गए तब उसने और पैसे दुकानदार को दिया और दुकानदार उसे एक अंडा चोप एक कागज के प्लेट मे दे दिया वह वड़ी खुशी से पकड़ा और खाने लगा । और जाते-जाते मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया उस मुस्कुराहट का में कायल हो गया । मानो वो कह रहा हो देखो तुम्हारे पैसे से मेने वही समान खरीदा जो कहा था । उसके बाद मे वाइक को स्टाट किया और अपने घर की और चल दिया पर उस बच्चे की वह प्यारी सी "मुस्कान" बहुत देर तक मेरे जेहन मे रहा ।


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