रविवार, 13 सितंबर 2020

महाभारत की रोचक कहानियां - अर्जुन के 10 नाम

महाभारत काव्य मैं अर्जुन  मुख्य पात्रो में से एक है। जिसे हम कुंती पुत्र अर्जुन, कृष्ण जी के सखा अर्जुन इत्यादि बहुत सारे नामों से जानते हैं । इतने नाम के बावजूद महाभारत के अनुसार अर्जुन के 10 नाम है जिन्हें वे अपने मुख से कहे हैं । जब पांचो पांडव दुर्योधन से जुए मैं हार कर शर्त अनुसार 12 वर्ष वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास के लिए बन को चले गए । तब 12 वर्ष बन में रहने के बाद जब 1 वर्ष अज्ञात वर्ष की बारी आई, तो वे सब मिलकर विराट राज के यहां भैंस बदलकर समय बिता रहे थे । यह सब अपने आप को महाराज युधिष्ठिर का सेवक होने का परिचय दिया , युधिष्ठिर ने अपने आप को कंक  बना लिए और उन्होंने कहा  मैं महाराज युधिष्ठिर को पाशा खेल कर मन बहलाया करता था । भीम ने अपने आप को महाराज युधिष्ठिर के रसोईया वल्लभ के रूप में अपना परिचय दिया । अर्जुन ने अपना परिचय बृहन्नाला के रूप में दीया वे एक संगीत मास्टर के रूप में अपना परिचय दिया और राजकन्या उतरा को नृत्य संगीत का ज्ञान देने लगे । नकुल और सहदेव एक गौशाला और दूसरे ने घुड़साल संभाल लिया । और द्रोपदी सरेन्द्री के रूप में महारानी के सेवा में समय बिताने लगी । इसी तरह से पांचों भाई और द्रोपदी विराट राज के यहां लगभग 1 वर्ष बीता दिये । उसी समय दुर्योधन ने पूरी कौरव सेना के साथ विराट राजा के गोधन ( गायो ) को हर ले गया । जब ये खबर विराटराज के पास गया तो वे अपने पुत्र राजकुमार उत्तर को अपनी गायो को छुडाने के लिए भेजा। उस समय कंक बने युदिष्ठर ने महराज से कह कर बृहन्नाला वने अर्जुन को उत्तर का सारथी वना कर भेज दिया क्योंकि उत्तर को यह पता नहीं था कि वे किन निक महारभी से भिडने जा रहा है, जिस सेना मे गंगा पुत्र भिष्म , आचार्य द्रोण , अंग राज कर्ण , कृपाचार्य , अशस्थामा , दुशासन और खुद दुर्योधन हो उस सेना को उत्तर जैसा एक बालक क्या बिगाड़ेगा । पहले तो उत्तर बड़ी-बड़ी बाते करते हुए जा रहा था , पर जब कौरवो का विशाल सेना को देखा तो वह भागने लगा तब अर्जुन उसे पकड कर समझाया कि ऐसे रण से भागना क्षेत्रीय को  शोभा नही देता , तो  उसने कहा अभी तुम मर्यादा की बात मत करो प्राण ही नही रहेगी तो मर्यादा क्या करेगी इस लिए में युद्ध नही करुगा । तब अर्जुन रथ पर सवार होकर उसे सारथी वना कर युद्ध करने के लिए चल दिये । युद्ध से पहले वे अपने अत्र ( धनुष वाण ) जहां  बांध कर रखें थे वहां गये और , उत्तर की सभी अत्र को  पेड से उतारने को  कहा उसके बाद वे अपना धनुष वाण अठा लिए। ये सब  शत्र देख उतर अर्जुन से पुझते है यह अत्र किसके है , तो बृहन्नाला बने अर्जुन ने कहा ये अत्र पाडण्वो की है और मे कुंती पुत्र अर्जुन हूं। और  उसने अपने और अपने भाइयो का द्रोपदी सहीत परिचय दिया । ये सब सुन उत्तर को  विश्वास नही हुआ और वे अर्जुन से बोले यदि आप अर्जुन है तो कृपया अपना दश नाम बतायें क्योकि मेने सुना है कि अर्जुन का दश नाम है। तब कुंती पुत्र अर्जुन ने अपने श्री मुख से अपने दश नाम बताये । 1. धन्नजय 2.  विजय  3. श्वेतवाहन  4. फाल्गुनी 5. कृटी 6. विभत्सु  7. सव्यसाची 8. अर्जुन 9. जिशनु 10. कृष्ण ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें