जब तक कोई मनुष्य जिंदा रहता है , तब तक वह हाय घर, हाय पैसा यही सब में लगा रहता है, उसे लगता है कि यह सदा के लिए मेरे पास रहने वाला है, पर प्रकृति गतिशील हम मनुष्य को पता होने के बाद भी पता नहीं चलता हमारे यह शरीर जिस पंच तत्वों से बना है तत्व में विलीन हो जाता है यह उसी दिन तय हो जाता है, जिस दिन मनुष्य का यह कोई भी प्राणी का जन्म होता है । उसके बाद भी प्राणी इस माया मोह मैं बह कर वह काम करता है, जो उसे नहीं करना चाहिए वह सांसारिक उपभोग के वस्तुओं को पाने की लालसा में कितनी भी नीच कर्म करने से नहीं चूकते ।
वह माया मोह के चक्कर में पढ़कर कोई भी हालात में पैसा कमाना चाहता है, जिसे वाह अपने और अपने बीवी बच्चों के लिए सारी उपभोग की वस्तु घर, मोटर, चल अचल संपत्ति बनाता रहता है । उसे लगता है यह सब मेरा है । उसे यह पता नहीं होता कि सांस रुकते ही मुझे चला या दफना दिया जाएगा । धन दौलत दूर की बात है , मृतक के शरीर मैं कफन को छोड़कर बीपी बस्त्र नहीं होगा जितने भी धातु जैसे सोना चांदी आदि के समान होंगे वे सब उतार लिया जाएगा ।
भी धागा नहीं रहने दिया जाएगा फिर भी मनुष्य की धन दौलत से इतना प्यार ? जिंदा रहते जितने सगे संबंधी आते जाते रहते साथ बैठकर चाय पानी पिया करते मरने के बाद वह भी यही कहते सुना जा सकता है की कितनी देर बाद लाश को घाट ले जाया जाएगा उन्हें अब आप से कोई मतलब नहीं है क्योंकि आपके शरीर से आत्मा रूपी परमात्मा निकल चुके हैं अभी शरीर का कोई महत्व नहीं रहा अब तो उसे इस बात की चिंता सता रही होगी की मृत शरीर से दुर्गंध ना आना शुरू हो जाए ।
जितने भी बेटा, बेटियां, बहुएं, पत्नी आपके मरने के बाद यही कहते हुए सुना जा सकता है की वे पैसा कहां रखकर गए हैं कितने पैसा रखे हैं चाबी कहां है जमीन के कागजात सब कहां हैं उन्हें आपके मरने से ज्यादा आपके कमा कर रखे हुए धन दौलत की चिंता है की उसमें से मेरा हिस्सा कितना होगा । और जब क्रिया कर्म की बारी आता है तो आप ही के कमाए हुए पैसे से थोड़ा सा दान दक्षिणा देने में कोताही करते हैं । यदि यह शरीर नश्वर है तो इस शरीर का इतना घमंड क्यों ? यदि धन-संपत्ति साथ नहीं जाएगा तो बेईमानी से कमाने से क्या फायदा ।
रुपया इस युग में जीने के लिए जरूरी है पर उस रुपए को मेहनत से भी तो कमाया जा सकता है, धन दौलत हमारी जरूरत है हमें हर एक काम के लिए पैसे चाहिए होते हैं चाहे खाने पीने के लिए हो, घर मकान बनाने के लिए, बाल बच्चे को पढ़ाने लिखाने के लिए हो उसके बाद भी हमें पैसे को अपनी कमजोरी नहीं बनाना नहीं चाहिए । यदि आपको ज्यादा पैसा कमाना है तो मेहनत करो भगवान ने सोचने के लिए दिमाग और मेहनत करने के लिए हाथ पैर दिए हैं सोच समझकर मेहनत करके क्यों ना कमाया जाए । हर एक मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए क्योंकि अच्छे कर्म ही साथ जाते हैं, इसलिए तो इस कलयुग को कर्म प्रधान कहा गया है ।
वह माया मोह के चक्कर में पढ़कर कोई भी हालात में पैसा कमाना चाहता है, जिसे वाह अपने और अपने बीवी बच्चों के लिए सारी उपभोग की वस्तु घर, मोटर, चल अचल संपत्ति बनाता रहता है । उसे लगता है यह सब मेरा है । उसे यह पता नहीं होता कि सांस रुकते ही मुझे चला या दफना दिया जाएगा । धन दौलत दूर की बात है , मृतक के शरीर मैं कफन को छोड़कर बीपी बस्त्र नहीं होगा जितने भी धातु जैसे सोना चांदी आदि के समान होंगे वे सब उतार लिया जाएगा ।
भी धागा नहीं रहने दिया जाएगा फिर भी मनुष्य की धन दौलत से इतना प्यार ? जिंदा रहते जितने सगे संबंधी आते जाते रहते साथ बैठकर चाय पानी पिया करते मरने के बाद वह भी यही कहते सुना जा सकता है की कितनी देर बाद लाश को घाट ले जाया जाएगा उन्हें अब आप से कोई मतलब नहीं है क्योंकि आपके शरीर से आत्मा रूपी परमात्मा निकल चुके हैं अभी शरीर का कोई महत्व नहीं रहा अब तो उसे इस बात की चिंता सता रही होगी की मृत शरीर से दुर्गंध ना आना शुरू हो जाए ।
जितने भी बेटा, बेटियां, बहुएं, पत्नी आपके मरने के बाद यही कहते हुए सुना जा सकता है की वे पैसा कहां रखकर गए हैं कितने पैसा रखे हैं चाबी कहां है जमीन के कागजात सब कहां हैं उन्हें आपके मरने से ज्यादा आपके कमा कर रखे हुए धन दौलत की चिंता है की उसमें से मेरा हिस्सा कितना होगा । और जब क्रिया कर्म की बारी आता है तो आप ही के कमाए हुए पैसे से थोड़ा सा दान दक्षिणा देने में कोताही करते हैं । यदि यह शरीर नश्वर है तो इस शरीर का इतना घमंड क्यों ? यदि धन-संपत्ति साथ नहीं जाएगा तो बेईमानी से कमाने से क्या फायदा ।
रुपया इस युग में जीने के लिए जरूरी है पर उस रुपए को मेहनत से भी तो कमाया जा सकता है, धन दौलत हमारी जरूरत है हमें हर एक काम के लिए पैसे चाहिए होते हैं चाहे खाने पीने के लिए हो, घर मकान बनाने के लिए, बाल बच्चे को पढ़ाने लिखाने के लिए हो उसके बाद भी हमें पैसे को अपनी कमजोरी नहीं बनाना नहीं चाहिए । यदि आपको ज्यादा पैसा कमाना है तो मेहनत करो भगवान ने सोचने के लिए दिमाग और मेहनत करने के लिए हाथ पैर दिए हैं सोच समझकर मेहनत करके क्यों ना कमाया जाए । हर एक मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए क्योंकि अच्छे कर्म ही साथ जाते हैं, इसलिए तो इस कलयुग को कर्म प्रधान कहा गया है ।
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