रविवार, 2 अगस्त 2020

2020 का एक शुभ कार्य- श्री राम मंदिर का शिलान्यास

सन - 2020 मे सब बुरा  ही हो रहा है ,साल शुरू होने के पहले ही कोरोना का आगमन हो गया अब सारा विश्व इसी मे उलझा हुआ है, डर के मारे लोग समचार देखना , पढना छोड दिया है। हमे तो लगता है , कोरोना का खबर से लोग इतना डर गए है , यदि उसे कोरोना हो गया तो ठीक होने से पहले डिप्रेशन से कुछ ना हो जाए । इस डरावना माहोल से एक खबर मन  को  शांत करने बाली आई की, 5 अगस्त को अयोध्या मे " श्री राम मंदिर का शिलान्यास " हो रहा है। इस खबर से  मानो कोरेना के डर से मन मे जमी धुल हट गई हो, खबर का उजाला भारत ही नही सारे संसार  को प्रकाशयामान कर रहा हो । 

Jay sri ram

अन्तर मन मे एक स्फुर्ती का अनुभव हो रहा है । मन मे तसस्ली तो हुआ कि अब श्री राम जी का मंदिर बन जाएगा। श्री राम जी का पंडालवास लगता है, अब खत्म होने की है । जब-जब कोई राम भक्त अपने आराध्य की इस रुप मे पंडाल मे पाते तो मानो उसके दिल मे एक ठीस सी उठती कि , है प्रभु आप अपने पिता के अज्ञा से चौदह बर्ष का वनवास तो काट लिये , पर कब  आपका ये पंडालवास कब खत्म होगा । लगता है अब प्रभु अपने  महल मे लोटने वाले है , अब लगता है उनका कलियुग का वनवास खत्म होने को है। 

जय श्री राम , जय हिन्द

शनिवार, 1 अगस्त 2020

अनसुनी बाते - दुखिया महादेव मंदिर , करमदाहा घाट , जामताड़ा , झारखण्ड (Visiting story)

दुखिया महादेव मंदिर धनबाद जामताड़ा के बॉर्डर पर बराकर नदी के तट पर प्रखंड नारायणपुर जिला जामताड़ा झारखंड भारत मैं स्थित है । यह मंदिर इस इलाके का बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है । इस मंदिर की खूबसूरती और यहां के स्वच्छ वातावरण बरबस भक्त जनों एवं पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है , और सबसे बड़ी बात है, की झारखंड के दूसरी सबसे बड़ी नदी बराकर के किनारे इस मंदिर के होने से इसकी सुंदरता में चार चांद लग जाती है । यहां पर बराकर नदी की स्वच्छ निर्मल जल कल - कल करती बहती प्रकृति के मनोरम दृष्य किसी का भी मन मोह लेने के लिए कम नहीं है। इस नदी का जल इतना साफ होता है कि जल के अंदर चट्टाने, कंकड़ पत्थर, और जलचर सब साफ-साफ दिखाई पड़ते है।

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जो भी यहाँ आते है, इसी घाट में नहाकर दुखिया महादेव जी की पूजा अर्चना करते है। जिस जगह पर यह मंदिर है इस जगह को मरमदाहा घाट के नाम से जाना जाता था, उस समय यहां पुल नही था अब पुल बन गया है इस लिए अब इसे करमदाहा पुल या करमदाहा वृज के नाम से भी जाता है। इस मंदिर में ऐसे तो सालों भर पूजा पाठ और शादी ब्याह चलते रहता है, पर मकर सक्रांति के अवसर पर यहां 15 दिन का एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, यह मेला यहां के स्थानीय निवासियों के लिए एक उत्सव से कम नहीं । इस मेले में बहुत दूर-दूर से लोग मेला देखने, सामान खरीदने, और सामान बेचने के लिए आते हैं । यहां की लोहे की समान काफी लोकप्रिय है ।

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 यहां मकर सक्रांति के अवसर पर श्रद्धालु संक्रांति स्नान के लिए भारी मात्रा में आते हैं, और मैंने कुछ लोगों को धान की बालियां पुआल सहित मंदिर में चढ़ाते हुए देखा , पूछने पर पता चला की यह प्रथा बहुत दिनों से चली आ रही है , अगल बगल के लोग अच्छी फसल होने के खुशी में दुखिया महादेव जी को धान की बालियां चलाते हैं , उनका मानना है कि अगले साल भी धान की फसल अच्छी होगी । यहां नव वर्ष में पिकनिक मनाने वालों का भी भीड़ दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है, स्थानीय लोगों के साथ साथ अगल बगल के जिला से पर्यटक पिकनिक मनाने के लिए आते हैं और शहर से दूर प्रकृति के मनोरम दृश्य का आनंद उठाते हैं ।


कैसे जाएं - 


यह जगह गोविंदपुर साहिबगंज हाईवे पर बराकर नदी के किनारे पर स्थित हैं । 

धनबाद से इसकी दूरी 42 किलोमीटर जाने का समय आपको 54 मिनट लग जाएगा ।

यदि आप जामताड़ा तरफ से यहाँ जाना चाहते हैं तो इसकी दूरी 33 किलोमीटर और सफर 45 मिनट का होगा ।

और यदि आप गिरिडीह से यहाँ जाना चाहे तो दूरी 45 किलोमीटर और सफर का समय 1:15 ।


आज के लिए इतना ही

हर हर महादेव , वंदे मातरम ।