जब श्री राम और सीता जी की शादी हुई और सीता जी अपने ससुराल आ गई । सीता जी के साथ उनकी तीन बहने और राम जी के तीनो भाई भरत ,लक्ष्मण, और शत्रुघ्न भी घर आ गए । विवाह का समय ऐसे ही चहल पहल रहता ही है, उसमें भी चार चार जोड़ों की शादियां इसमें सबका खुशी चार गुनी बढ़ गई । सब हर्ष उल्लास के साथ विवाह का जश्न मना रहे थे पूरे अयोध्या नगर मैं ढोल नगाड़े बज रहे थे, वहां की औरतें बधाइयां गा रही थी ।
उत्सव ऐसा था कि इस उत्सव में शामिल होने के लिए देवता भी इस लालाहित थे । खाने-पीने की कमी नहीं थी जगह-जगह पर खाने पीने की व्यवस्था थी । प्रजा बहुत खुश थी होता भी क्यो नही उनके चहेते राजकुमारो की विवाह का उत्सव था, खास करके श्रीराम की विवाह की । क्यो कि सब जातने थे की श्री राम रघुकुल दीपक अयोध्या के भावी सम्राट है। राम के प्रति अयोध्या वासियों का अथाह स्नेह देख कर लगता था , कि उन्हे राजा के रूप में कोई खजाना मिलने वाला हो ।
वे सब उन्हे राजा बनते देखना चाहते थे। तीनो माताओं सबसे लाडला श्री राम ही थे, पिता दशरथ जी की तो श्री राम की शांत स्वभाव गुरुजनो के प्रति आदर छोटो के प्रति स्नेह और प्रजा की पुत्र वत ध्यान रखना ये सब गुण देख कर दशरथ जी खुशी से मंत्रमुग्ध हो जाते, गर्व सर ऊँचा हो जाता है। ऐसे भी यदी बेटा कोई अच्छा काम करता हो तो देश दुनियाँ मे उनका यस फैल जाता है यहां तो राम जी गुणों की खान है , एक बाप के लिए और क्या चाहिए दूसरे के मुख से अपने बेटे की प्रशंसा सुनकर राजा दशरथ खुशी से फूली नहीं समाते , दशरथ जी को एक नहीं चार चार गुणवान पुत्रों का पिता होने का गौरव प्राप्त था । शादी के बाद जो भी नेग होना था वह सब हुआ ।
अब बारी था मुंह दिखाई का हमारे भारतवर्ष में शादी के बाद पहली बार बहू (नई दुल्हन) घर आती है तो उसके ससुराल वाले बहू को कुछ उपहार देते हैं ,जिसे मुंह दिखाई कहां आता है । यह रस्म भारत में लगभग सभी समुदायों में मनाया जाता है । सीता जी के साथ भी वही रस्म निभाया गया राजा दशरथ जी ने अपने सभी पुत्र बंधुओं को अपनी इच्छा अनुसार उपहार दिए । तीनों सासुओ ने भी सीता जी को उपहार भेंट किए । जितने भी लोग राजा , महाराजा, प्रजा जो भी इस विवाह में शामिल हुए सब ने सीता जी को कुछ ना कुछ उपहार दिए ।
उत्सव ऐसा था कि इस उत्सव में शामिल होने के लिए देवता भी इस लालाहित थे । खाने-पीने की कमी नहीं थी जगह-जगह पर खाने पीने की व्यवस्था थी । प्रजा बहुत खुश थी होता भी क्यो नही उनके चहेते राजकुमारो की विवाह का उत्सव था, खास करके श्रीराम की विवाह की । क्यो कि सब जातने थे की श्री राम रघुकुल दीपक अयोध्या के भावी सम्राट है। राम के प्रति अयोध्या वासियों का अथाह स्नेह देख कर लगता था , कि उन्हे राजा के रूप में कोई खजाना मिलने वाला हो ।
वे सब उन्हे राजा बनते देखना चाहते थे। तीनो माताओं सबसे लाडला श्री राम ही थे, पिता दशरथ जी की तो श्री राम की शांत स्वभाव गुरुजनो के प्रति आदर छोटो के प्रति स्नेह और प्रजा की पुत्र वत ध्यान रखना ये सब गुण देख कर दशरथ जी खुशी से मंत्रमुग्ध हो जाते, गर्व सर ऊँचा हो जाता है। ऐसे भी यदी बेटा कोई अच्छा काम करता हो तो देश दुनियाँ मे उनका यस फैल जाता है यहां तो राम जी गुणों की खान है , एक बाप के लिए और क्या चाहिए दूसरे के मुख से अपने बेटे की प्रशंसा सुनकर राजा दशरथ खुशी से फूली नहीं समाते , दशरथ जी को एक नहीं चार चार गुणवान पुत्रों का पिता होने का गौरव प्राप्त था । शादी के बाद जो भी नेग होना था वह सब हुआ ।
अब बारी था मुंह दिखाई का हमारे भारतवर्ष में शादी के बाद पहली बार बहू (नई दुल्हन) घर आती है तो उसके ससुराल वाले बहू को कुछ उपहार देते हैं ,जिसे मुंह दिखाई कहां आता है । यह रस्म भारत में लगभग सभी समुदायों में मनाया जाता है । सीता जी के साथ भी वही रस्म निभाया गया राजा दशरथ जी ने अपने सभी पुत्र बंधुओं को अपनी इच्छा अनुसार उपहार दिए । तीनों सासुओ ने भी सीता जी को उपहार भेंट किए । जितने भी लोग राजा , महाराजा, प्रजा जो भी इस विवाह में शामिल हुए सब ने सीता जी को कुछ ना कुछ उपहार दिए ।
जब रात को श्री रामजी महल में गए तो सीता जी से उनकी मुलाकात हुई ।रामजी सीता जी से बोले सीते आपको सबने कुछ ना कुछ उपहार मुंह दिखाई स्वरूप दिए पर हमने आपको कुछ नहीं दिया यह बात आपको भी ठीक नहीं लग रहा होगा । पर ऐसा बात नहीं है मैं आपको मुंह दिखाई का उपहार जरूर दूंगा । हमारे यहां राजा महाराजाओं में एक बहू पत्नी का प्रथा है जिसमें राजा एक से अधिक शादियां कर सकता, पर मैं आपको वचन देता हूं की कोई दूसरी शादी नहीं करूंगा । आपके सिवा मेरी जिंदगी में कोई नारी नहीं आएगी यही आपको मेरे तरफ से मुंह दिखाई का उपहार है ।
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