You know? Why is vermilion offered to Hanuman ji. Kya aap jante hai Hnuman ji ko sindur kyo chadaya jata hi.
हिंदू धर्म के अनुसार यह माना जाता है कि सिंदूर सिर्फ देवियों को चढ़ाया जाता है पर हनुमान जी ऐसे देवता हैं जिन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता इसका कारण भी बहुत मजेदार है ।
बात उस समय की है जब श्री रामचंद्र जी बनवास से लौटकर अपने राजकाज में रम गए थे । प्रजा बहुत खुशहाल थी ऐसे राजा पाकर पूरे अयोध्या नगर में प्रजा बहुत खुश थे और रामचंद्र भी अपने प्रजा को अपने पुत्र के समान मानकर राज करते थे ।
हनुमान जी अयोध्या में ही थे एक दिन माता सीता अपने महल में सिंदूर लगा रही थी । माता को सिंदूर लगाते देख हनुमान जी बड़ी कोतुहल के साथ देख रहे थे । एक तो जाति के बंदर और दूसरे हनुमान जी अपने स्वभाव से चंचल उन्हें यह सोचकर बड़ी आश्चर्य हो रहा था कि आखिर माता यह लाल चीज अपने सर पर क्यों लगा रहे हैं।
हनुमान जी धीरे धीरे माता सीता के करीब गए और बड़ी उत्सुकता के साथ माता जी से पूछ लिया हे माते आप यह लाल चीज क्या लगा रही हैं । माता को हनुमान जी के आवाज में एक निश्चल , अबोध बालक का आवाज सा प्रतीत हुआ । हनुमान जी से माता सीता का रिश्ता एक बेटे की तरह ही था और हनुमान जी भी सीता जी को अपनी मां हे मानते थे ।
ऐसा सवाल सुन मां सीता ने हनुमान जी को समझाते हुए बोले यह सिंदूर है शादीशुदा महिलाएं इसे अपने मांग में लगाती हैं । फिर हनुमान जी ने बड़ी भोलेपन से कहें इससे लगाने से फायदा क्या होता है सीता जी कोई जवाब नहीं सूझा उसने सोचा सीधा- साधा सा कोई जवाब इनको दे देता हूं नहीं तो यह ऐसे ही मुझे सताता रहेगा ।
माता सीता ने हनुमान जी से कहे यह सिंदूर लगाने से आपके स्वामी और मेरे पति श्री रामचंद्र जी बहुत प्रसन्न हो जाते हैं ।इतना कह सीता जी हनुमान जी से पिंड छुड़ा कर दूसरी तरफ चली गई । हनुमान जी वहां बैठे बैठे सोचने लगे । उधर सीता जी हनुमान जी को समझाने के बाद श्री रामचंद्र के पास जाकर बैठ गए और हनुमान जी से हुए वार्तालाप को राम जी की सुना रहे थे कह रहे थे की हनुमान कैसे एक बालक की तरह मुझसे सवाल पर सवाल किए जा रहे हैं थे ।
यह सब बात हो ही रहा था की अचानक दोनों की नजर उधर से आते हुए हनुमान जी पर पड़े पहली नजर में तो वे समझ ही नहीं पाए थे कि यह कौन है क्योंकि उनका पूरा शरीर लाल ही लाल वह अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगाकर लाल हो गए थे । राम जी हंसते- हंसते हनुमान जी से बोले हे हनुमान आपने अपना यह दशा कैसी बना ली हनुमान जी सामने आकर हाथ जोड़कर बोल।
हे प्रभु माताजी सिंदूर लगा रही थी तब मैंने पूछा कि आप सिंदूर क्यों लगा रहे हैं तब माताजी ने मुझसे कहीं की सिंदूर लगाने से आप प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए माता ने सिंदूर लगाई मैंने सोचा यदि थोड़ा सा सिंदूर लगाने से आप खुश हो जाते हैं तो क्यों ना मैं पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लू इससे आप कितना खुश हो जाएंगे । हनुमान जी के बातों से राम और सीता जी बहुत प्रसन्न हुए उनके सेवा भाव अपने स्वामीको खुश करने की सोच वे बहुत प्रसन्न हुए ।
सच्चा सेवक का काम हमेशा ही अपने मालिक को खुश रखने का होता है और यह तो पूरा संसार जानती है कि हनुमानजी से बड़ा कोई सेवक नहीं हुआ । हनुमान जी के सेवा भाव से श्री रामचंद्र जी और माता सीता जी ने हनुमान जी को यह आशीर्वाद दिया की आज से तुम्हें जो सिंदूर चढ़ आएगा उसकी हर एक मनोकामना पूर्ण होगी । इसलिए हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है।
(स्रोत रामायण)
हिंदू धर्म के अनुसार यह माना जाता है कि सिंदूर सिर्फ देवियों को चढ़ाया जाता है पर हनुमान जी ऐसे देवता हैं जिन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता इसका कारण भी बहुत मजेदार है ।
बात उस समय की है जब श्री रामचंद्र जी बनवास से लौटकर अपने राजकाज में रम गए थे । प्रजा बहुत खुशहाल थी ऐसे राजा पाकर पूरे अयोध्या नगर में प्रजा बहुत खुश थे और रामचंद्र भी अपने प्रजा को अपने पुत्र के समान मानकर राज करते थे ।
हनुमान जी अयोध्या में ही थे एक दिन माता सीता अपने महल में सिंदूर लगा रही थी । माता को सिंदूर लगाते देख हनुमान जी बड़ी कोतुहल के साथ देख रहे थे । एक तो जाति के बंदर और दूसरे हनुमान जी अपने स्वभाव से चंचल उन्हें यह सोचकर बड़ी आश्चर्य हो रहा था कि आखिर माता यह लाल चीज अपने सर पर क्यों लगा रहे हैं।
हनुमान जी धीरे धीरे माता सीता के करीब गए और बड़ी उत्सुकता के साथ माता जी से पूछ लिया हे माते आप यह लाल चीज क्या लगा रही हैं । माता को हनुमान जी के आवाज में एक निश्चल , अबोध बालक का आवाज सा प्रतीत हुआ । हनुमान जी से माता सीता का रिश्ता एक बेटे की तरह ही था और हनुमान जी भी सीता जी को अपनी मां हे मानते थे ।
ऐसा सवाल सुन मां सीता ने हनुमान जी को समझाते हुए बोले यह सिंदूर है शादीशुदा महिलाएं इसे अपने मांग में लगाती हैं । फिर हनुमान जी ने बड़ी भोलेपन से कहें इससे लगाने से फायदा क्या होता है सीता जी कोई जवाब नहीं सूझा उसने सोचा सीधा- साधा सा कोई जवाब इनको दे देता हूं नहीं तो यह ऐसे ही मुझे सताता रहेगा ।
माता सीता ने हनुमान जी से कहे यह सिंदूर लगाने से आपके स्वामी और मेरे पति श्री रामचंद्र जी बहुत प्रसन्न हो जाते हैं ।इतना कह सीता जी हनुमान जी से पिंड छुड़ा कर दूसरी तरफ चली गई । हनुमान जी वहां बैठे बैठे सोचने लगे । उधर सीता जी हनुमान जी को समझाने के बाद श्री रामचंद्र के पास जाकर बैठ गए और हनुमान जी से हुए वार्तालाप को राम जी की सुना रहे थे कह रहे थे की हनुमान कैसे एक बालक की तरह मुझसे सवाल पर सवाल किए जा रहे हैं थे ।
यह सब बात हो ही रहा था की अचानक दोनों की नजर उधर से आते हुए हनुमान जी पर पड़े पहली नजर में तो वे समझ ही नहीं पाए थे कि यह कौन है क्योंकि उनका पूरा शरीर लाल ही लाल वह अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगाकर लाल हो गए थे । राम जी हंसते- हंसते हनुमान जी से बोले हे हनुमान आपने अपना यह दशा कैसी बना ली हनुमान जी सामने आकर हाथ जोड़कर बोल।
हे प्रभु माताजी सिंदूर लगा रही थी तब मैंने पूछा कि आप सिंदूर क्यों लगा रहे हैं तब माताजी ने मुझसे कहीं की सिंदूर लगाने से आप प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए माता ने सिंदूर लगाई मैंने सोचा यदि थोड़ा सा सिंदूर लगाने से आप खुश हो जाते हैं तो क्यों ना मैं पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लू इससे आप कितना खुश हो जाएंगे । हनुमान जी के बातों से राम और सीता जी बहुत प्रसन्न हुए उनके सेवा भाव अपने स्वामीको खुश करने की सोच वे बहुत प्रसन्न हुए ।
सच्चा सेवक का काम हमेशा ही अपने मालिक को खुश रखने का होता है और यह तो पूरा संसार जानती है कि हनुमानजी से बड़ा कोई सेवक नहीं हुआ । हनुमान जी के सेवा भाव से श्री रामचंद्र जी और माता सीता जी ने हनुमान जी को यह आशीर्वाद दिया की आज से तुम्हें जो सिंदूर चढ़ आएगा उसकी हर एक मनोकामना पूर्ण होगी । इसलिए हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है।
(स्रोत रामायण)
Nic
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