शनिवार, 9 मार्च 2019

प्रवचन का साइटिफेक्ट ( हास्य कथा )

एक समय की बात है। एक शहर में भागवत कथा हो रहा था। उसी शहर में एक परिवार रहता था। उस परिवार में पति पत्नी और दोनों बच्चे  थे। अब शहर में प्रवचन आया है तो दोनों को देखने की इच्छा हो रही थी। दोनों यदि एक साथ प्रवचन देखने जाते हैं तो फिर बच्चों का देखभाल कौन करेगा। उन्होंने फैसला किया कि दोनों अलग-अलग दिन में प्रवचन देखने जाएंगे। एक प्रवचन देखने जाएगा दूसरा बच्चा का देखभाल करेगा।  पहला दिन पति गया प्रवचन देखने। उस दिन रामायण की कथा हो रही थी। जिसमें राम जी के पिता दशरथ जी के शादी के प्रसंग  चल रहा था।    वे आदमी बहुत ध्यान से उस कथा को सुना। शाम को घर आया और खाना पीना खाकर सो गया।


दूसरे दिन पत्नी की बारी थी। वह भी सही समय पर सज  धज के प्रवचन देखने चली गई। उस दिन महाराज जी महाभारत के प्रसंग कह रहे थे। जिस में द्रौपदी स्वयंवर की कथा को स्वामी जी बहुत ही सुन्दर भाव से समझा रहे थै। उस सज्जन  ने भी उस कथा को को बडे शांत भाव से सुनी , ऊसे बहुत अच्छा लगा । कथा सुन के वह अपने घर आ गई । फिर से दोनौ की चिन्दगी की गाडी उसी तरह बेड़  आराम से चल रही थी।               


एक दिन किसी बात पर दोनो में झगडा हो गया । लम्बी वहस चली बातो की गोलियाँ दोनो और से दना- दन चल रही थी। तभी पति ने गुस्से से आग बगुला हो कर बोला मुझे ज्यादा गुस्सा मत दिलाओ नही तो अभी भी मेरे पास दो और ऑप्सन बाकी  है।तभी ऊनकी पत्नी तपाक से बोली मुझें भी ज्यादा परेशान मत करो नही तो मेरे पास अभी चार आप्शन वााकी है।
पति का चेहरा देखने लायख थी।